गलवा नदी में बहती स्वास्थ्य सेवाएं! मरीजों की जान जोखिम में,


गलवा नदी में बहती स्वास्थ्य सेवाएं! मरीजों की जान जोखिम में,

 हर साल जलभराव से जूझता है उनियारा का सबसे बड़ा अस्पताल,

गलवा नदी के बहाव क्षेत्र में बना उनियारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र

TONK (फ़िरोज़ उस्मानी)।राज्य सरकार द्वारा करोड़ों रुपए की लागत से वर्ष 2022 में निर्मित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उनियारा हर साल मानसून के दौरान जलमग्न हो जाता है। यह अत्यंत चिंताजनक स्थिति तब उत्पन्न हुई जब चिकित्सा विभाग के इंजीनियरिंग विंग ने इस अत्यावश्यक सुविधा को गलवा नदी के बहाव क्षेत्र के बीचों-बीच बनवा दिया।

जैसे ही गलवा बांध भरता है और पानी बहने लगता है, उसका पूरा बहाव अस्पताल परिसर से होकर गुजरता है। परिणामस्वरूप, अस्पताल और उसके पीछे स्थित आवासीय क्वार्टर जलमग्न हो जाते हैं। पानी के साथ जहरीले जीव-जंतु, विशेषकर सांप, परिसर में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे वहां उपचार के लिए आने वाले मरीजों और अस्पताल कर्मियों की जान पर खतरा बना रहता है।

 मरीजों को फिसलन और कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है

भारी जलभराव के कारण अस्पताल परिसर में जगह-जगह फिसलन हो जाती है। मरीजों को कीचड़ और पानी से होकर अस्पताल तक पहुंचना पड़ता है। कुछ मरीजों को एक हाथ में दवा पर्ची और दूसरे में जूते पकड़े हुए देखा गया। वाहन जलमग्न हो जाते हैं और बिजली की डीपी हर बार डूबने से सप्लाई बाधित हो जाती है।

 दरारें और ढही चारदीवारी

लगातार पानी भरने से नई बिल्डिंग में दरारें आ चुकी हैं। पहले ही मानसून में अस्पताल की चारदीवारी ढह गई, जिससे निर्माण कार्य की गुणवत्ता और नियोजन पर सवाल खड़े हो रहे हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि चारदीवारी के निर्माण में गलवा नदी के बहाव को नजरअंदाज किया गया था।

 कर्मचारी छोड़ने को मजबूर आवास

अस्पताल के स्टाफ को हर वर्ष अपने सरकारी आवास खाली कर अन्यत्र रहना पड़ता है। इससे उन्हें मानसिक और आर्थिक समस्याएं झेलनी पड़ती हैं।

 स्थानीय जनता ने की स्थायी समाधान की मांग

क्षेत्रवासियों का कहना है कि अगर निर्माण से पहले स्थान का सही चयन होता तो आज इस स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता। नागरिकों ने जिला कलेक्टर से अपील की है कि अस्पताल में पानी भराव की इस गंभीर समस्या का स्थायी समाधान किया जाए। साथ ही निर्माण कार्य में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग भी जोर पकड़ रही है।

अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई होती है या यह मामला हर वर्ष की तरह फाइलों में ही दबा रह जाएगा।



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