सरप्लस शिक्षकों के पदस्थापन में धांधली, चहेतों को मिला फायदा डीईओ कार्यालय की सूची पर उठे सवाल, नियमों की खुलेआम अनदेखी

 सरप्लस शिक्षकों के पदस्थापन में धांधली, चहेतों को मिला फायदा

डीईओ कार्यालय की सूची पर उठे सवाल, नियमों की खुलेआम अनदेखी



टोंक (फ़िरोज़ उस्मानी)। जिले में माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी की गई सरप्लस शिक्षकों की पदस्थापन सूची पर अब सवाल उठने लगे हैं। आरोप है कि जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) द्वारा जारी की गई सूची में नियमों को ताक पर रखकर पदस्थापन किए गए और चहेते शिक्षकों को मनचाहे स्थानों पर नियुक्त कर दिया गया।

शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) द्वारा जारी 15 बिंदुओं की गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए सरप्लस हुए 64 शिक्षकों में से कई का समायोजन नियम विरुद्ध किया गया है। नियमानुसार, शहरी क्षेत्र के शिक्षकों को पास के शहरी विद्यालयों में प्राथमिकता के आधार पर समायोजित किया जाना था, लेकिन इसके उलट दूरस्थ विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को भी नजदीकी स्कूल दे दिए गए।

       पक्षपात रवैया

कई महिला शिक्षकों के साथ पक्षपात करते हुए उसी वार्ड में जगह खाली होने के बाद भी अन्य वार्डो के शिक्षकों को लगा दिया गया है। कुल मिलाकर जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) ने नियमों को धत्ता बता कर उलट-फेर कर दिया है।

सूत्रों के अनुसार, महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों में चयनित शिक्षकों के बाद जो शिक्षक सरप्लस हुए थे, उन्हें राजनीति से प्रेरित तरीके से समायोजित किया गया है। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में जो पारदर्शी काउंसलिंग प्रक्रिया अपनाई गई थी, उसका इस बार पूरी तरह से उल्लंघन हुआ है।

इस प्रक्रिया में पारदर्शिता की भारी कमी बताई जा रही है, जिससे अन्य योग्य और वरिष्ठ शिक्षक खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। अब यह मामला शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर रहा है।

शिक्षकों और शिक्षण संघों ने मांगा जवाब

शिक्षक संगठनों ने इस मुद्दे पर डीईओ कार्यालय से जवाब मांगते हुए कहा है कि यदि जल्द ही इस अनियमितता को सुधारा नहीं गया तो वे आंदोलन की राह पकड़ सकते हैं।

 मीडिया में मामला आने के बाद विभाग आनन-फानन में शिक्षकों को कार्यमुक्त व कार्य ग्रहण करवाया जा रहा है



टिप्पणियाँ

  1. पहले भ्रष्टाचार की जेड हुआ करती थी अब भ्रष्टाचार के बरगद पेड़ पैदा हो गए जहां कहीं चले जाओ हर जगह से भ्रष्टाचार की बू आती है। उदाहरण के लिए उपराष्ट्रपति का इस्तीफा क्योंकि उन्होंने जस्टिस वर्मा के खिलाफ कार्रवाई न की जाने पर वक्तव्य दिया था।

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