पत्रकारिता जगत के सशक्त हस्ताक्षर: उस्ताद पत्रकार थे मरहूम मुश्ताक़ उस्मानी साहब
पत्रकारिता जगत के सशक्त हस्ताक्षर: उस्ताद पत्रकार थे मरहूम मुश्ताक़ उस्मानी साहब
*(सुरेश बुन्देल) * की कलम से.....
पत्रकारिता में इंट्रो का मतलब परिचय या शुरुआत होता है। इसे "लीड" भी कहा जाता है। वस्तुतः यह किसी भी समाचार या कहानी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जो खबर का सार बताते हुए पाठकों को खबर पढ़ने के लिए मजबूर कर देता है। प्रिंट एवं इलेक्ट्रीनिक मीडिया के प्रशिक्षित व पेशेवर पत्रकार इसके महत्व को भली- भांति समझते हैं। आजकल जमाना कॉपी- पेस्ट का है। शॉर्टकट से बने नए ज़माने के पत्रकार इसके मर्म को ज्यादा तवज्जो नहीं देते। इंट्रो का जिक्र आते ही एक नाम स्वर्गीय मुश्ताक़ उस्मानी साहब का भी आता है, जिन्हें पत्रकारिता की बेहतर समझ वाले लोग "प्रभावशाली इंट्रो" का उस्ताद पत्रकार मानते हैं। समाचारों की दुनिया में तकरीबन 40 साल तक बतौर पत्रकार अपनी कलम का जौहर दिखाने वाले मुश्ताक़ उस्मानी साहब भले ही इस दुनिया में नहीं है किन्तु साहफत की तारीख़ में उनका जिक्र बार- बार किया जाता रहेगा।
*टोंक में 1 जुलाई 1954 को जन्मे मुश्ताक़ उस्मानी का अखबारी सफरनामा काफी लम्बा व उल्लेखनीय। उन्होंने जिले के प्रमुख साहित्यकार, पत्रकार व समाजसेवी हनुमान प्रसाद सिंहल साहब के सानिध्य में पत्रकारिता की शुरुआत की। वे 1981 से 1988 वक्त हिन्दी समाचार पत्र के संपादक रहे। इसके बाद 1989 से 1990 तक दैनिक अम्बर जयपुर (पूर्व संध्या), 1990 से 1997 तक न्याय दैनिक अजमेर, नवभारत टाइम्स व राष्ट्रदूत के लिए काम किया। 1997 से 2011 तक वे दैनिक भास्कर में चीफ ब्यूरो रहे।* 2011 के बाद न्यूज टुडे हिंदी, नई दुनिया हिंदी दैनिक, लोकदशा, महका भारत समेत कई हिंदी मैगजीन से जुड़कर पत्रकारिता धर्म का निर्वाह करते रहे।
*उस्मानी जी ने डॉ. सैय्यद सादिक अली जी की "टोंक इतिहास" पर लिखी गई किताब में भी कई ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में लिखा। उस्मानी जी ने राजस्थान में पहली बार कोर्ट की न्यूज़ लिखना प्रारम्भ किया था। लगभग सभी तरह की खबरें लिखने में उस्मानी जी को महारथ हासिल थी। उन्हें क्राइम की ख़बरें लिखने का उस्ताद माना जाता था।* उस ज़माने में उनकी लेखन शैली का हर कोई क़ायल रहा। वो अपनी खबरों में इंट्रो का ध्यान रखते हुए बहुत कम शब्दों में समाचार का पूरा सारांश समझा देते थे। *नई पीढ़ी के पत्रकारों को उस्मानी जी के कृतित्व से प्रेरणा लेनी चाहिए। शानदार लेखन में पारंगत होने के लिए पत्रकारों को ज्यादा से ज्यादा अध्ययन करना चाहिए। खास तौर पर इंट्रो और समाचारों की प्रकृति पर ध्यान देते हुए गागर में सागर भरना होगा। तभी खबरों में पैनापन आएगा।*
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